डॉक्टर हर्षवर्धन को खुला पत्र===
डॉक्टर साहब नमस्कार,
कल आपका ध्वनि एवं वायू प्रदूषण सम्बंधित एवं "साइलेंट दिवाली" मनाने का ट्वीट पढ़ा , आप जैसे बौद्धिकता से भरपूर व्यक्तित्व से ये उम्मीद नहीं थी की आप बिना कोई तथ्यात्मक शोध के ऐसा बयान देंगें , 
तथ्यों के भी परे आपसे ये उम्मीद भी थी की आप नास्तिक वामपंथियों एवं मिशनरी पोषित छद्म धर्मनिरपेक्ष बुद्दिजीवियों के कुत्सित प्रचार की भी जानकारी रखते होंगे ,पर आपके ट्वीट से ऐसा लगा की आप भी"महान बनने के रोग" से ग्रसित हैं जिस बीमारी में हिन्दू खुद अपने त्योहारों की हंसी उडाता है , अपनेही धर्म के लोगों को अपने अधजल गगरी छाप "ज्ञान" का रौब झाड़कर डपटता है !! 
खैर वो एक मनोवैज्ञानिक विषय है , अभी आपके प्रदूषण संबंधी दावों पर कुछ शोध प्रस्तुत करना चाहता हूँ :-
1. शहरों में साल के बारह महीने 365 दिन 60 से 90 प्रतिशत प्रदूषण कारों और मोटरसाइकलों से निकलने वाले धुंए से होता है , एक सर्वे के मुताबिक अगर बड़ी बड़ी बातें करने वाले ,बड़ी बड़ी कारों में अकेले चलने वाले बड़े बड़े सेक्युलर लोग हफ्ते में एक दिन भी कार का उपयोग ना करें तो ये आंकड़ा 5 से 10 प्रतिशत गिर सकता है,क्या आप ऐसी कोई अपील जनता से करना चाहेंगे ?
2. बड़े बड़े लोगों के घरों में लगे एयर कंडीशनर की CFC / HCFC गैसें किस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा दे रही हैं उसकी जानकारी होने की अपेक्षा भी आपसे है , ये गैसें CO2जैसी गैसों से 2100 गुना ज्यादा नुकसानदायक हैंप्रकृति के लिए , क्या आप जनता से अपील करना चाहेंगे की गर्मियों में हफ्ते के एक दिन बिना AC के बिताएं और प्रकृति की सेवा करें ?
3 . इस देश की 50 प्रतिशत से ज्यादा ऊर्जा आपूर्ति कोयले के संयंत्रों से होती है जिनसे निकलता धुँआ आस पास के सौ किलोमीटर में रहने वाले लोगों के लिए मौत से भी बदतर होता है , क्या आप लोगों से बिजली का उपयोग कम से कम करने की अपील करना चाहेंगे , क्या आप दूसरे स्वस्थ एवं स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों के लिए अभियान छेड़ना चाहेंगे ?
4. संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग , वायु एवं जल प्रदूषण का एक सबसे बड़ा कारण मीट व्यापार है , एक सर्वे के मुताबिक 1 किलो मांस बनाने की प्रक्रिया मेंजितनी मीथेन और CO2 निकलती हैं उतनी करीबन 17 किलोमीटर कार चलाने के बाद निकलती हैं ,कुछ कहना चाहेंगे ?
5. कत्लखानों से निकलने वाला सैकड़ों गैलन कई बीमारियां लिया हुआ प्रदूषित पानी रोज़ नदियों मेंजाकर मिलता है , कभी कुछ कहा आपने ?
6 . इसी यूएन रिपोर्ट के मुताबिक पूरे विश्व का मीट व्यापार 18 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैंसों केलिए जिम्मेदार बताया गया है ,जो की कार से निकलती गैसों से 40 प्रतिशत ज्यादा है ,
स्थिति इतनी भयावह है की नोबेल पुरस्कार विजेता डॉक्टर राजेंद्र पचौरी के मुताबिक ये आंकड़े भी सबसे कमतर आंकें गए हैं , कुछ कहना चाहेंगे ?
7 . अमेरिका में हाल ही में एक मुहीम चलायी गयी है जिसमे कहा जाता हैकी यदि आप ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ सहयोग करना चाहते हैं तो शाकाहारी बनिए , क्या आप भी ऐसा कुछ कहना चाहेंगे ?==
अजी छोड़िये आप क्या कहेंगे , अभी बकरीद निकली,हज़ारों लाखों गायों को काटा गया,आपने कुछ नहीं कहा , अभी नया साल आएगा जब पूरा विश्व फटाखे फोड़ेगा तब भी आप कुछ नहीं कहेंगे , पर सामान्य मध्यम वर्गीय हिन्दुओंके त्योहारों और उनकी छोटी छोटी खुशियों पर टीका टिप्पणी करना आप जैसे बुद्धिजीवी लोगों को बहुत "कूल" महसूस होता है !!
आपको बताता चलूँ की दिवाली के दिन जलाये जाने वाले फटाखे ऊपर लिखे किसी भी प्रदूषणकारक मेंनहीं आते हैं , वो भी साल में एक बार,वो भी दो या तीन घंटे के लिए ? हिन्दुओं ने कुछ ज्यादा मांग लिया क्या डॉक्टर साहब ?
आपका एक शुभचिंतक